क्रियाविशेषण | Kriya Visheshan in Hindi
हिंदी व्याकरण के इस टॉपिक में क्रियाविशेषण की परिभाषा, क्रियाविशेषण के सभी भेद (प्रकार) एवं उपभेद उदाहरण सहित पढ़ेंगे। क्रियाविशेषण को अंग्रेजी में Adverb (एडवर्ब) कहा जाता है।
नोट: क्रियाविशेषण अविकारी शब्द है।
क्रियाविशेषण की परिभाषा:-
जो शब्द क्रिया की विशेषता बताते हैं, उन्हें क्रियाविशेषण कहते हैं ।
जैसे-
सुंदर, भीतर, यहां, अन्यत्र, प्रतिदिन, दौड़कर, तेज, अब, नीचे, सहसा, पास, कम, बहुत, परसों, प्रात:, कल, बाहर, रातभर, चुपके, झूठ, कहां, तक, जितना, धीरे-धीरे,अचानक, प्रतिवर्ष, जहां, वहां आदि।
क्रियाविशेषण के उदाहरण-
1. दादाजी प्रातः सैर करने जाते हैं ।
2. मैं प्रतिदिन विद्यालय जाता हूं ।
3. गीता धीरे-धीरे चलती है ।
4. नरेश कम बोलता है ।
5. मोहन वहां टहलता है ।
6. रीमा भीतर पढ़ रही है ।
उपर्युक्त वाक्यों में 'प्रात:', 'प्रतिदिन ' , 'धीरे-धीरे', 'कम ,' 'वहां 'और 'भीतर 'शब्द क्रमश: 'करने जाते हैं', ' जाता हूं ',चलती है ', 'बोलता है ', ' टहलता है ', और ' पढ़ रही है ' क्रियाओं की विशेषता बतला रहे हैं। अत: ये शब्द क्रियाविशेषण हैं ।
क्रियाविशेषण के भेद:-
क्रियाविशेषण के भेद निम्नलिखित हैं-
[1] प्रयोग के अनुसार क्रियाविशेषण के भेद
[2] अर्थ के अनुसार क्रियाविशेषण के भेद
[3] रूप के अनुसार क्रियाविशेषण के भेद
[1] प्रयोग के अनुसार क्रियाविशेषण के भेद-
प्रयोग के अनुसार क्रियाविशेषण के तीन प्रकार हैं -
(क) साधारण क्रियाविशेषण
(ख) संयोजक क्रियाविशेषण
(ग) अनुबद्ध क्रियाविशेषण
(क) साधारण क्रियाविशेषण-
जिस क्रियाविशेषण का प्रयोग वाक्य में स्वतंत्रता- पूर्वक होता है उसे साधारण क्रिया विशेषण कहते हैं।
जैसे -
1. अरे! सांप कहां गया?
2. अनिल बहुत हंसता है ।
3. अब मैं सोता हूं ।
उपर्युक्त वाक्यों में 'कहां ',' बहुत ' और 'अब 'साधारण क्रियाविशेषण हैं ।
(ख) संयोजक क्रियाविशेषण-
जिस क्रियाविशेषण का संबंध किसी उपवाक्य के साथ होता है उसे संयोजक क्रियाविशेषण कहते हैं ।
जैसे-
1. जहां पहले पानी था वहां अब धरती है ।
2. जितना बोला गया उतना काम करो।
उपर्युक्त वाक्यों में ' जहां-वहां ', 'जितना-उतना'संयोजक क्रियाविशेषण हैं ।
(ग) अनुबद्ध क्रियाविशेषण-
जो क्रियाविशेषण वाक्य में समुच्चयबोधक और विस्मयादिबोधक को छोड़कर अन्य किसी शब्द भेद के साथ निश्चय के लिए जोड़ा जाता है, उसे अनुबद्ध क्रियाविशेषण कहते हैं ।
जैसे-
1. सुनीता पहले भी आई थी ।
2. मोहन ने उसे देखा तक नहीं ।
3. मेरे पास घड़ी तो है ।
उपर्युक्त वाक्यों में 'भी ', 'तक' और 'तो ' अनुबद्ध क्रियाविशेषण हैं ।
[2] अर्थ के अनुसार क्रियाविशेषण के भेद-
अर्थ के अनुसार क्रियाविशेषण के 'चार' प्रकार हैं ।
(क) कालवाचक क्रियाविशेषण
(ख) स्थानवाचक क्रियाविशेषण
(ग) रीतिवाचक क्रियाविशेषण
(घ) परिमाणवाचक क्रियाविशेषण
(क) कालवाचक क्रियाविशेषण-
जो क्रियाविशेषण शब्द क्रिया के होने का समय सूचित करते हैं, उन्हें कालवाचक क्रियाविशेषण कहते हैं।
जैसे-
1. नौकर नित्य आता है ।
2. वह दिनभर पढ़ता रहा ।
3. बारिश लगातार हो रही है ।
4. मैं कल मसूरी जाऊंगा ।
5. संगीता प्रतिदिन विद्यालय जाती है ।
6. अब बस छूटने वाली है ।
उपर्युक्त वाक्यों में क्रमशः नित्य,दिनभर, लगातार ,कल ,प्रतिदिन और अब शब्दों से कार्य के होने के समय का बोध हो रहा हैं। इसलिए ये कालवाचक क्रिया विशेषण हैं ।
कालवाचक क्रियाविशेषण के निम्नलिखित तीन भेद हैं:-
1. अवधिवाचक
जीवन भर ,दिन भर, रात भर , लगातार
नित्य, आजकल ,सारे दिन , सदैव,पांच
वर्ष से आदि ।
2. समयवाचक
कल,सवेरे,परसों,आज ,रात,प्रात:,सांझ,
दोपहर ,आजकल , अभी-अभी,अब, आदि ।
3. बारंबारतावाचक
प्रतिदिन ,ज्यादातर , बहुधा, बार-बार अक्सर ,पुनः ,प्राय:,अक्सर, रोज-रोज हर दिन,प्रतिवर्ष आदि ।
(ख) स्थानवाचक क्रियाविशेषण
जो क्रियाविशेषण क्रिया के स्थान या दिशा के विषय में बोध कराएं उन्हें स्थान वाचक क्रियाविशेषण कहते हैं।
जैसे-
1. चोर उधर भागा ।
2. नीचे जाकर बैठो ।
3. मैं वहां रहता हूं ।
4. मेरे पास तीन कमीजें हैं ।
5. तुम बाहर जाकर खेलो ।
6. कुसुम इधर-उधर घूम रही है।
7. मोहन आगे खड़ा है ।
उपर्युक्त वाक्यों में क्रमश: उधर,नीचे वहां,पास,बाहर ,इधर-उधर,और आगे
शब्द क्रिया के स्थान और दिशा का बोध करा रहे हैं । इसलिए ये स्थानवाचक क्रियाविशेषण हैं ।
स्थानवाचक क्रियाविशेषण के निम्नलिखित तीन भेद हैं:-
1. स्थितिवाचक
बाहर ,भीतर, यहां , वहां, ऊपर, नीचे, पास, दूर,आस-पास आदि ।
2. दिशावाचक
दायें,बायें, आमने-सामने, इधर -उधर,
की ओर, इस ओर, उस ओर आदि ।
3. विस्तारवाचक
यहां से वहां तक आदि।
जैसे- कन्याकुमारी से रामेश्वरम तक आदि ।
(ग) रीतिवाचक क्रियाविशेषण
जो क्रियाविशेषण शब्द क्रिया के होने की रीति अर्थात् ढंग का बोध कराते हैं उन्हें रीतिवाचक क्रियाविशेषण कहते हैं।
उदाहरणार्थ
1. कुत्ता अचानक झपटा ।
2. घोड़ा तेज दौड़ता है ।
3. बिजली सहसा चली गई ।
4. हाथी धीरे-धीरे चलता है
5. तुम मेरी बात ध्यानपूर्वक सुनो ।
6. पिताजी शायद आ जाएं ।
7. मम्मी ने मुझे जोर से आवाज लगाई।
उपर्युक्त वाक्यों में क्रमश:अचानक ,तेज, सहसा ,धीरे धीरे, ध्यानपूर्वक , शायद और जोर से शब्द क्रिया की रीति अर्थात् ढंग को बता रहे हैं । इसलिए ये रीतिवाचक क्रियाविशेषण हैं ।
रीतिवाचक क्रियाविशेषण निम्नलिखित प्रकार के होते हैं:-
1. निश्चयात्मक
अवश्य, वस्तुतः, बेशक, सचमुच, निःसंदेह आदि।
2. अनिश्चयात्मक
कदाचित , अक्सर, संभव है, बहुधा, प्रायः, शायद आदि।
3. कारणात्माक
इसलिए, क्योंकि, अत:एवं, किसलिएआदि।
4. स्वीकारात्मक
हां, सच, जी, बिल्कुल,ठीक आदि ।
5. निषेधात्मक
न, मत, नहीं, कभी नहीं ,कदापि नहीं, बिल्कुल नहीं अभी आदि।
6. आकस्मिकात्मक
सहसा ,अचानक , एकाएक, अकस्मात
आदि।
7. अवधारणात्मक
ही, भी, तो, भर, तक, मात्र आदि।
8. प्रकारात्मक
सुखपूर्वक, धड़ाधड़ ,यथा,तथा ध्यानपूर्वक, शीघ्रता से , धीरे-धीरे, आप ही आप आदि।
(घ) परिमाणवाचक क्रियाविशेषण
जो क्रियाविशेषण शब्द क्रिया के होने की मात्रा अथवा परिमाण का बोध कराते हैं ,उन्हें परिमाणवाचक क्रियाविशेषण कहते हैं ।
उदाहरणार्थ-
1. मोहिनी कम खाती है।
2. रोगी बहुत चिल्लाता है।
3. सोहन के पास पर्याप्त धन है।
4. हरी शाक- सब्जी अधिक खाओ ।
5.बारी-बारी से मेरे पास आओ ।
6. अति से तो अमृत भी जहर हो जाता है।
7. लड़की खूब खेलती है ।
उपर्युक्त वाक्यों में क्रमशः कम, बहुत, पर्याप्त, अधिक,बारी- बारी, अति और खूब आदि शब्द क्रिया की मात्रा या परिमाण का बोध कराते हैं ।इसलिए ये परिमाणवाचक क्रियाविशेषण है ।
परिमाणवाचक क्रियाविशेषण के पांच भेद हैं-
1. श्रेणीवाचक
बारी -बारी से, थोड़ा-थोड़ा , क्रम से, न्यूनाधिक, तिल- तिल, एक-एक करके
आदि।
2. तुलनावाचक
जितना ,उतना , कितना, इतना आदि।
3. न्यूनतावाचक
थोड़ा ,जरा, तनिक, कुछ,तनिक-सा,
किंचित आदि।
4. अधिकतावाचक
अति, बहुत ,खूब, अत्यंत , ज्यादा आदि।
5. पर्याप्तवाचक
काफी , पर्याप्त ,यथेष्ट आदि।
[3] रूप के अनुसार क्रियाविशेषण के भेद
रूप के अनुसार क्रिया विशेषण के तीन प्रकार हैं:-
(क) मूल क्रियाविशेषण
(ख) यौगिक क्रियाविशेषण
(ग) स्थानीय क्रियाविशेषण
(क) मूल क्रियाविशेषण
जो क्रियाविशेषण किसी दूसरे शब्द से नहीं बनाए जाते उन्हें मूल क्रियाविशेषण कहते हैं ।
जैस - झूठ, ठीक,फिर,दूर, नहीं आदि।
उदाहरणार्थ
1. आप झूठ मत बोलो।
2. विकास अभी नहीं आया ।
(ख) यौगिक क्रियाविशेषण
जो क्रियाविशेषण दूसरे शब्द में प्रत्यय या पद जोड़ने से बनते हैं ,उन्हें यौगिक क्रियाविशेषण कहते हैं। जैसे-
1. संज्ञा से-
सबेरे, प्रेमपूर्वक , रातभर ,दिनभर आदि।
2. सर्वनाम से-
यहां, वहां,अब,तब,जब,जिससे आदि।
3. विशेषण से -
चुपके, धीरे, पहले , ठीक , भूल से आदि।
4. क्रिया से-
जाते,आते ,लिए ,चाहे आदि।
5. क्रियाविशेषण से-
यहां से ,कहां तक, ऊपर को, अभी आदि।
उदाहरण-
1. संगीता रातभर पढ़ती रही।
2. वह चुपके से खड़ा था
3. आप यहां से चले जाओ।
(ग) स्थानीय क्रियाविशेषण
दूसरे शब्द भेद जो बिना किसी रूपांतर के क्रियाविशेषण के समान उपयोग में आते हैं, वे स्थानीय क्रियाविशेषण कहलाते हैं। जैसे-
1. संज्ञा से-
* तुम मेरी मदद पत्थर करोंगे ।
* वह अपना सिर पढ़ेगा ।
उपर्युक्त वाक्यों में 'पत्थर' और 'सिर' शब्द स्थानीय क्रियाविशेषण हैं ।
2. सर्वनाम से-
* मैं यह चला ।
* लड़का वह जा रहा है ।
* हिंसक जीव मुझे क्या मारेंगे ?
उपर्युक्त वाक्यों में यह,वह और क्या शब्द स्थानीय क्रियाविशेषण हैं ।
3. विशेषण से-
* माधुरी सुंदर लिखती है।
* अखिल उदास बैठा है।
* लड़का सीधा गया।
उपर्युक्त वाक्यों में सुंदर, उदास और सीधा शब्द स्थानीय क्रियाविशेषण हैं।
4. पूर्वकालिक कृदंत से-
* अजय गिरकर मर गया।
* आप दौड़कर चलते हो।
उपर्युक्त वाक्यों में गिरकर और दौड़कर शब्द स्थानीय क्रियाविशेषण हैं।
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