विशेषण | Visheshan in Hindi
विशेषण विकारी शब्द है।
विशेषण की परिभाषा:-
"ऐसे शब्द जो संज्ञा और सर्वनाम की विशेषता बताते हों तो इन विशेषता बताने वाले शब्दों को विशेषण कहते हैं।"
निम्नलिखित वाक्यों को ध्यान से से पढ़िए।
(1) मुझे नीला स्वेटर पसंद है।
(2) वह ऊंचा भवन किसका है?
(3) एक किलो चावल लाओ ।
इन वाक्यों में नीला, ऊंचा, एक किलो आदि शब्द क्रमशः स्वेटर, भवन और चावल संज्ञा शब्दों की विशेषता बता रहे हैं। इनके बारे में कुछ विशेष ज्ञान देने के कारण इन्हें विशेषण कहते हैं।
विशेष्य | Visheshya in Hindi
विशेषण शब्द जिस शब्द की विशेषता प्रकट करता है उसे विशेष्य कहते हैं।
(1) यह काली चींटी है।
(2) मोहन ताजे फल लाया है।
(3) मैंने थोड़ा दूध पिया।
इन वाक्यों में चींटी ,फल और दूध विशेष्य है।
वाक्य में विशेषण का स्थान:-
किसी भी वाक्य में विशेषण शब्द दो प्रकार से प्रयुक्त होते हैं-
(क) संज्ञा या सर्वनाम शब्दों (विशेष्यों) से पहले।
इसे उद्देश्य विशेषण कहते हैं।
जैसे-
(1)अच्छे लड़के शोर नहीं मचाते।
(2) गीता एक होशियार बच्ची है।
उपर्युक्त वाक्यों में अच्छे और होशियार शब्द उद्देश्य विशेषण हैं, क्योंकि ये शब्द विशेष्य के पहले प्रयोग किए गए हैं। इसलिए ये उद्देश्य विशेषण है।
(ख) संज्ञा और सर्वनाम शब्दों( विशेष्यों) के बाद।
इसे विधेय विशेषण कहते हैं।
जैसे-
(1) मोहन के बाग के आम मीठे हैं।
(2) यह दृश्य सुंदर है।
उपर्युक्त वाक्यों में मीठे और सुंदर शब्द विधेय विशेषण हैं। क्योंकि ये शब्द विशेष्य के बाद में प्रयोग हुए हैं । इसलिए ये विधेय विशेषण है।
विशेषण के भेद | Kinds of Visheshan in Hindi
विशेषण पांच प्रकार के होते हैं-
(1) गुणवाचक विशेषण
(2) संख्यावाचक विशेषण
(3) परिमाणवाचक विशेषण
(4) सार्वनामिक विशेषण ( संकेतवाचक विशेषण)
(5) व्यक्तिवाचक विशेषण
(1) गुणवाचक विशेषण
जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम शब्द के गुण -दोष , रंग-रूप ,आकार -प्रकार ,दिशा ,अवस्था ,गंध, स्वाद, स्पर्श, स्थान, काल, स्थिति आदि का बोध कराते हैं उन्हें गुणवाचक विशेषण कहते हैं।
गुणवाचक विशेषण के कुछ बोधक शब्दों का विवरण निम्नलिखित हैं -
1. गुण बोधक:
सरल ,योग्य ,उदार, परिश्रमी, ईमानदार, बुद्धिमान, सच्चा, दयालु, धार्मिक, पवित्र, कृपण, दानी, उचित , वीर आदि।
2. दोष बोधक:
कुटिल, अयोग्य, अहंकारी, दुष्ट, क्रोधी, पापी, कपटी, नीच, बुरा, कंजूस, छली आदि।
3. आकार-प्रकार बोधक:
गोल, चौरस, चौड़ा, लंबा, खुरदरा ,पोला ,बड़ा ,छोटा ,तिकोना, बड़ा, छोटा, सुडौल आदि।
4. रंग-रूप बोधक:
सफेद ,काला, भूरा,पीला ,नीला ,हरा, कत्थई ,बैंगनी, लाल, धानी, गुलाबी ,गोरा ,आकर्षक सुंदर ,सुनहरा आदि।
5. स्थान बोधक:
देशी, विदेशी, स्थानीय, बनारसी, ग्रामीण,शहर, ऊपरी, दाया, बाया, भीतरी, बाहरी, भारतीय, निचला आदि।
6. गंध बोधक:
सुगंधित, गंध हीन, सुवासित, दुर्गंध पूर्ण आदि ।
7. स्वाद बोधक:
खट्टा ,मीठा ,कडवा ,नमकीन, चटपटा ,तीखा ,कसैला , फीका आदि ।
8. दशा बोधक:
अस्वस्थ, स्वस्थ, गिला, रोगी, पतला, बलवान, अमीर, दरिद्र, नीरोगी, मोटा, दुबला आदि।
9. स्पर्श बोधक:
खुरदरा, कठोर, कोमल, मुलायम आदि।
10. दिशा बोधक:
उत्तरी, दक्षिणी, पूर्वी, पश्चिमी, पाश्चात्य आदि।
11. काल बोधक:
प्राचीन ,अर्वाचीन,आधुनिक ,नया पुराना ,दैनिक मासिक ,वार्षिक, संध्या, उषाकाल आदि।
12. ध्वनि बोधक:
कर्कश, मधुर, सरस आदि।
निम्नलिखित कुछ उदाहरण देखिए-
1. यह कपड़ा बहुत मुलायम है।
2. रामायण धार्मिक ग्रंथ है।
3. श्री राम ने दुष्ट रावण का वध किया।
4. बच्चे के लिए मीठे आम लाओ ।
5. मानसरोवर में सफेद हंस तैर रहे हैं।
उपर्युक्त उदाहरणों में मुलायम, धार्मिक, दुष्ट, मीठे, सफेद शब्द स्पर्श, गुण, दोष, स्वाद और रंग आदि गुण बतला रहे हैं। इसलिए ये शब्द 'गुणवाचक विशेषण' हैं।
(2) संख्यावाचक विशेषण:
जो शब्द किसी संज्ञा या सर्वनाम की संख्या संबंधी विशेषता का बोध कराते हैं, उन्हें संख्यावाचक विशेषण कहते हैं। जैसे-
1. राजा दशरथ के चार पुत्र थे।
2. गीता को पुरस्कार में तीन पुस्तकें मिली।
3. दीदी को कुछ पैसे दे दो।
4. थोड़े फल लाओ।
उपर्युक्त वाक्यों में चार,तीन,कुछ और थोड़े शब्द क्रमशः पुत्र, पुस्तकें,पैसे और फल संज्ञा शब्दों की संख्या का बोध करा रहे हैं। इसलिए ये शब्द संख्यावाचक विशेषण हैं।
संख्यावाचक विशेषण के दो भेद हैं:
(क) निश्चित संख्यावाचक विशेषण
(ख) अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण
(क ) निश्चित संख्यावाचक विशेषण:-
निश्चित संख्यावाचक विशेषणों से वस्तुओं की निश्चित संख्या का बोध होता हैं।
जैसे- तीनलड़के, आठसंतरे, दो दर्जन पेंसिले, चौथी मंजिल, पच्चीस रुपये आदि।
निश्चित संख्यावाचक विशेषण के निम्नलिखित पांच भेद है:-
1. गणना वाचक विशेषण:
जिन विशेषणों से केवल गिनती का बोध होता है, उन्हें गणना वाचक विशेषण कहते हैं।
जैसे- दो घोड़े, पांच आदमी, चार फल आदि।
इसके भी दो भेद हैं-
(अ) पूर्णांक बोधक:
जैसे- 1, 2, 4, 100, 1000 आदि।
(ब) अपूर्णांक बोधक:
जैसे- पाव,आधा पौना, सवा आदि।
2. क्रम वाचक विशेषण:
जिन विशेषणों से केवल क्रम का बोध होता है ,उन्हें क्रमवाचक विशेषण कहते हैं।
जैसे- प्रथम पुरस्कार, दूसरी मंजिल, प्रथम श्रेणी, तीसरा व्यक्ति आदि।
3.आवृत्ति वाचक विशेषण:
जिन विशेषणों से किसी वस्तु की आवृत्ति का बोध होता है, उन्हें आवृत्ति वाचक विशेषण कहते हैं।
जैसे- दुगुना ,सौगुना ,चौगुना ,दसगुना आदि।
4. समुदाय वाचक विशेषण:
जिन विशेषणों से किसी सामूहिक संख्या का बोध होता है, उन्हें समुदाय वाचक विशेषण कहते हैं।
जैसे- दो दर्जन केले, आठों लड़के, चारों फल, चालीसों चोर आदि।
5. प्रत्येक वाचक विशेषण:
जो समूह में से प्रत्येक का बोध कराते हैं ,उन्हें प्रत्येक वाचक विशेषण कहते हैं।
जैसे - प्रत्येक व्यक्ति, हर एक आदमी, प्रति जन्म, प्रति माह, प्रतिवर्ष आदि।
(ख) अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण:
जिन विशेषणों से किसी निश्चित संख्या का बोध नहीं होता हैं, उन्हें अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण कहते हैं। जैसे - कुछ आदमी, बहुत आम, अनेक लड़के, थोड़े अमरूद,सब बच्चे आदि।
(3) परिमाणवाचक विशेषण:
जो शब्द किसी संज्ञा या सर्वनाम की मात्रा या नाप-तौल संबंधी विशेषता को प्रकट करते हैं, उन्हें परिमाणवाचक विशेषण कहते हैं।
जैसे-
1. तुम सारा शरबत पी लो।
2. रेखा ने चार मीटर कपड़ा खरीदा।
3. उसके लिए दो किलो बासमती चावल ले आओ ।
4. स्वाति थोड़ा दूध पीकर सो जाओ।
5. मैंने आधा किलो दही लिया।
उपर्युक्त वाक्यों में सारा , चारमीटर ,दो किलो ,थोड़ा आधा किलो शब्द उन वस्तुओं की नाप-तौल बतला रहे हैं ,जिनकी गिनती नहीं की जा सकती है। इन शब्दों ने क्रमशः शरबत,कपड़ा ,चावल ,दूध ,दही
शब्दों की मात्रा अथवा नाप-तौल बताई है ।
इसलिए ये शब्द परिमाणवाचक विशेषण है।
परिमाणवाचक विशेषण के दो भेद हैं:-
(क ) निश्चित परिमाणवाचक विशेषण
(ख) अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण
(क ) निश्चित परिमाणवाचक विशेषण:-
निश्चित परिमाणवाचक विशेषण संज्ञा या सर्वनाम के निश्चित परिमाण का बोध कराते हैं।
जैसे- 4 लीटर दूध, 1 क्विंटल गेहूं, 10 मीटर कपड़ा, 5 लीटर तेल आदि।
(ख) अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण:
जिन विशेषणों से संज्ञा या सर्वनाम के निश्चित परिमाण का बोध न हो, उन्हें अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण कहते हैं।
जैसे- कुछ दाल, थोड़ा आटा, बहुत घी, कम चीनी आदि।
निश्चित परिमाणवाचक विशेषण शब्दों में 'ओं' प्रत्यय लगाकर भी अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण बन जाते हैं।
जैसे- मनों दूध, घड़ों पानी आदि।
संख्यावाचक विशेषण तथा परिमाणवाचक विशेषण में अंतर-
सब,कुछ, थोड़े ,बहुत, अनेक और अधिक आदि कुछ विशेषण ऐसे हैं जो परिमाणवाचक विशेषण और संख्यावाचक विशेषण दोनों ही रूपों में प्रयुक्त होते हैं। यदि विशेष्य गिने जाने वाली वस्तु है तोउन्हें संख्यावाचक मानना चाहिए अन्यथा परिमाणवाचक। अर्थात बहुवचन में इनका प्रयोग होता है।
जैसे-
1.सोहन अधिक फूल लाया।
(गणनीय ) संख्यावाचक विशेषण
2.सोहन अधिक घी लाया।
(अगणनीय) परिमाणवाचक विशेषण।
(4) सार्वनामिक विशेषण (संकेतवाचक विशेषण)
ऐसे सर्वनाम शब्द जो संज्ञा से पहले आकर संज्ञा की विशेषता बताते हैं ,उन्हें सार्वनामिक विशेषण अथवा संकेतवाचक विशेषण कहते हैं।
जैसे-
1. यह पुस्तक मेरी है।
2. कोई आदमी आ रहा है।
3.कौन लोग आए थे ।
4. अलमारी में कुछ पुस्तकें है।
उपर्युक्त वाक्यों में यह, कोई, कौन और कुछ सर्वनाम हैं, जो क्रमशः पुस्तक, आदमी, लोग और पुस्तकें संज्ञाओं की विशेषता बताने के कारण विशेषण हो गए हैं।
कुछ सर्वनाम तो ऊपर दिए गए चारों उदाहरणों में आए सर्वनामों की तरह अपने मूल रूप में ही विशेषण रूप में प्रयुक्त होते हैं ,परंतु कुछ थोड़े परिवर्तन के साथ प्रयुक्त होते हैं ।जैसे-
यह से ऐसा, इतना ; कौन से कैसा, कितना; वह से वैसा, उतना आदि।
सार्वनामिक विशेषण व्युत्पत्ति के अनुसार दो प्रकार के होते हैं-
(क) मूल सार्वनामिक विशेषण:-
जो बिना किसी रूपांतर के संज्ञा के साथ आते हैं। जैसे- यह ग्रंथ, वह लड़का, कोई नौकर, कुछ काम आदि।
(ख) यौगिक सार्वनामिक विशेषण:
जो मूल सर्वनामों में प्रत्यय लगाने से बनते हैं और संज्ञा के साथ आते हैं।
जैसे-
ऐसा आदमी, कैसा घर, उतना काम, जैसा देश वैसा भेष आदि।
मूल सार्वनामिक विशेषणों का अर्थ बहुधा सर्वनामों के ही सम्मान होता है परंतु कहीं-कहीं उननमें कुछ विशेषता पाई जाती है। यह (ये, वह, वे) सर्वनाम, संज्ञाओं के साथ प्रयुक्त होकर संकेत या निर्देश करते हैं। अंत: इन्हें संकेतवाचक या निर्देश वाचक विशेषण भी कहते हैं।
(5) व्यक्तिवाचक विशेषण:
जो शब्द असल में व्यक्तिवाचक संज्ञा बने होते हैं और विशेषण शब्दों का निर्माण करते हैं, वे शब्द व्यक्तिवाचक विशेषण कहलाते हैं।
जैसे-
बनारस - बनारसी,
भारत -भारतीय,
लखनऊ -लखनवी,
गुजरात - गुजराती आदि।
1. मुझे भारतीय खाना बहुत पसंद है।
2.मुझे लखनवी कुर्ता सबसे ज्यादा पसंद है ।
3. हमारी दुकान पर जयपुरी मिठाइयां मिलती है।
4. मुझे गुजराती ढोकला खाने में अच्छा लगता ह।
उपर्युक्त उदाहरणों में देख सकते हैं कि भारतीय, लखनवी ,जयपुरी और गुजराती आदि शब्द हमें खाने, पहनने के अंदाज के बारे में बता रहे हैं।
ये सभी शब्द एक व्यक्तिवाचक संज्ञा से बन रहे हैं एवं बाद में विशेषण बना रहे हैं। इसलिए ये व्यक्तिवाचक विशेषण के अंतर्गत आएंगे।
प्रविशेषण:-
जो शब्द विशेषण शब्द की भी विशेषता बताते हैं, उन्हें प्रविशेषण कहते हैं।
जैसे-
1. हिमालय सबसे बड़ा पर्वत है।
2. विद्यालय में बहुत सुंदर बगीचा है।
3. छुरी अधिक तेज है।
4. वह ज्यादा अच्छा चलता है।
5. यह सरोवर अत्यंत रमणीय है।
उपर्युक्त वाक्यों में सबसे, बहुत ,अधिक ,ज्यादा और अत्यंत शब्द प्रविशेषण है, क्योंकि ये सभी शब्द बड़ा, सुंदर, तेज, अच्छा और रमणीय विशेषण शब्दों की विशेषता बता रहे हैं।
विशेषण की अवस्थाएं:-
व्यक्ति, वस्तु अथवा स्थान के गुण-दोषों में अंतर हो सकता है। अत: उनकी विशेषता बताने वाले शब्द अलग-अलग प्रयुक्त किए जाते हैं। तुलना की दृष्टि से विशेषण की तीन अवस्थाएं होती है।
(1) मूलावस्था
(2) उत्तरावस्था
(3) उत्तमावस्था
(1) मूलावस्था:
इसमें एक ही प्राणी या वस्तु की विशेषता प्रकट की जाती है।
जैसे-
1. सीता सुंदर है।
2. यह करेला कड़वा है।
(2) उत्तरावस्था:
इसमें दो व्यक्तियों ,वस्तुओं या स्थानों की तुलना की जाती है। ऐसा करते समय की अपेक्षा, की तुलना में, से बढ़कर, से कम, से अधिक आदि शब्द विशेष्य के बाद आते हैं।
जैसे-
1. मोहन सोहन से अधिक लंबा है।
2. स्वाति रीना की अपेक्षा अधिक बुद्धिमान है।
(3) उत्तमावस्था:
इस अवस्था में एक व्यक्ति, वस्तु या स्थान को अन्य सभी से श्रेष्ठ बताया जाता है। सबसे, सर्वाधिक, सब में, सभी से आदि शब्द 'समूहवाची शब्द ' के बाद आते हैं।
जैसे-
1. बजरंग सर्वाधिक बलवान है।
2. राम कक्षा में सबसे बुद्धिमान है।
3. गीता ने कक्षा में अधिकतम अंक प्राप्त किए हैं।
केवल गुणवाचक, अनिश्चत संख्यावाचक और अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषणों की ही तुलनात्मक अवस्थाएं होती है हैं, अन्य की नहीं ।
उदाहरण के रूप मेें-
* राकेश सुंदर है।
* राकेश मोहन से सुंदर है।
* राकेश सब विद्यार्थियों से सुंदर है। (सुंदर-गुणवाचक विशेषण)
विशेषण की अवस्थाओं के रूप:
मूलावस्था - उत्तरावस्था - उत्तमावस्था
कोमल - कोमलतर - कोमलतम
कठोर - कठोरतर - कठोरत
नवीन - नवीनतर - नवीनतम
सुंदर - सुंदरतर - सुंदरतम
लघु - लघुतर - लघुतम
अधिक - अधिकतर - अधिकतम
श्रेष्ठ - श्रेठतर - श्रेष्ठतम
न्यून - न्यूनतर - न्यूनतम
मधुर - मधुरतर - मधुरतम
प्राचीन - प्राचीनतर - प्राचीनतम
विशेषण शब्दों की रचना
विशेषणों शब्दों की रचना चार प्रकार से होती है-
(1) संज्ञा से विशेषण बनाना
निम्नलिखित 'संज्ञा' शब्दों से 'विशेषण' बने शब्दों पर ध्यान दें -
संज्ञा - विशेषण
परिवार - पारिवारिक,
समाज - सामाजिक,
वर्ष - वार्षिक,
मास - मासिक,
भूख - भूखा ,
दर्शन - दर्शनीय,
शब्द - शाब्दिक,
जाति - जातीय,
रक्षा - रक्षक,
ग्राम - ग्रामीण,
रंग - रंगीला,
भूगोल - भौगोलिक,
कुसुम - कुसुमित आदि।
(2) सर्वनाम से विशेषण बनाना
निम्नलिखित 'सर्वनाम' शब्दों से 'विशेषण' बने शब्दों पर ध्यान दें -
सर्वनाम - विशेषण
वह - वैसा,
मैं - मुझसा,
जो - जैसा,
कौन - कैसा,
यह - ऐसा,
तुम - तुम्हारा,
हम - हमसा,
आप - आपका आदि।
(3) क्रिया से विशेषण बनाना
क्रिया - विशेषण
बेचना - बिकाऊ,
मरना - मरियल,
टिकना - टिकाऊ,
पढ़ना - पढ़ाक,
भूलना - भुलक्कड़,
लड़ना - लड़ाकू,
पूजना - पूजनीय,
कटना - कटाई,
कथा - कथित आदि।
(4) अव्यय शब्द से विशेषण बनाना
निम्नलिखित 'अव्यय ' शब्दों से 'विशेषण' बने शब्दों पर ध्यान दें -
अव्यय - विशेषण
आगे - अगला ,
ऊपर - ऊपरी ,
बाहर - बाहरी ,
भीतर - भीतरी,
सतह - सतही,
नीचे - नीचेला,
पीछे - पिछला आदि।
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