शब्द - Shabd in Hindi
भाषा में वर्ण के बाद जो छोटी इकाई है, वह शब्द कहलाती है।
"वर्ण के आपस में मिलने से शब्द बनता है।"
वर्णो के ऐसे समूह जिनका कोई अर्थ होता है ऐसे समूहों को शब्द कहते है। दो या दो से अधिक वर्ण शब्द कहलाते है लेकिन कभी कभी एक वर्ण भी शब्द के रूप में कार्य करता है। इसलिए हम यह नहीं कह सकते की दो या दो से अधिक वर्ण ही शब्द बन सकते है।
उदाहरण के लिए
एक वर्ण से बना शब्द: "न" जिसका अर्थ होता है "नही"
जैसे- चाय न पानी।
इसमें जो न वर्ण है वो शब्द का कार्य कर रहा है।जिसका अर्थ है चाय नहीं पानी
एक अन्य उदाहरण = व
राम व श्याम
उसमें व एक वर्ण है लेकिन यहा शब्द का भी काम करेगा।
हम यह नही कह सकते की दो या दो से अधिक वर्ण ही शब्द कहलाते है।
एक से अधिक वर्णो से निर्मित शब्द: आप, वह, कोई,रहा ,पानी ,खाना आदि।
आप कहा जाओगे।
वह कब आएगा।
कोई नहीं था।
क्या आप पानी लेकर आओगे।
उसने खाना खा लिया।
यह सभी दो या दो से अधिक वर्ण से मिल कर बने है।
शब्द की परिभाषा | Shabd definition / Meaning in Hindi
शब्द के भेद | Shabd ke bhed
शब्द की उत्पत्ति, रचना या बनावट के अनुसार, प्रयोग तथा अर्थ के आधार पर निम्न 4 भागो में विभाजित किया गया है।
(अ) उत्पत्ति के आधार पर शब्द के भेद
(ब) व्युत्पत्ति के आधार पर शब्द के भेद
(स) अर्थ के आधार पर शब्द के भेद
(द) प्रयोग के आधार पर शब्द के भेद
(अ) उत्पत्ति के आधार पर शब्द के भेद
उत्पत्ति के आधार पर शब्द के 4 भेद हैं-
(1) तत्सम शब्द
(2) तद्भव शब्द
(3) देशज शब्द
(4) विदेशी शब्द
(1) तत्सम शब्द -
तत्सम दो शब्दों से मिलकर बना है – तत +सम , जिसका अर्थ होता है ज्यों का त्यों। जिन शब्दों को संस्कृत से बिना किसी परिवर्तन के ले लिया जाता है उन्हें तत्सम शब्द कहते हैं। तत्सम शब्दों में ध्वनि परिवर्तन नहीं होता है।
जैसे :- हिंदी , बांग्ला , मराठी , गुजराती , पंजाबी आदि।
(2) तद्भव शब्द-
तद्भव शब्द ‘तत्+ भव ‘ के योग से बना हैं, जिसका शाब्दिक अर्थ है ‘उससे जन्म’ अर्थात जो शब्द संस्कृत भाषा से हजारों वर्षो की यात्रा के बाद हिंदी भाषा में परिवर्तित रूप में ग्रहण किए गए हैं। तद्भव शब्द कहते हैं।
जैसे :- घी, राखी, चांदनी, आग, दूध आदि।
(3) देशज शब्द-
जिन शब्दों को हिंदी भाषा ने अपनी छेत्रीय भाषाओं से ग्रहण किया है, बाहरी छेत्र का कोई प्रभाव ना पड़ा हो वे देशज शब्द कहलाते है। इन शब्दों के लिखित स्रोत नहीं मिलते हैं।
छाती, खिचड़ी, बाजरा, थाली आदि ।
(4) विदेशी शब्द-
जो शब्द हिंदी भाषा ने विदेशी भाषाओं से ग्रहण किए हो अर्थात जो शब्द हमने विदेशी संस्कृति से ग्रहण किए हो वो विदेशज शब्द कहलाते है।
विदेशी शब्दों के प्रकार -
१. अरबी: अल्लाह, इरादा, इशारा, किताब, जिला, तहसील, नकद, हलवाई, अखबार, अदालत, आइना, इंतजार, इंसाफ, इम्तहान, इस्तीफा, औरत, कसाई, कानून।
२. फारसी: अमरूद, आमदनी, असमान, आदमी, कारीगर, कारोबार, खुशामद, गवाह, गुब्बारा,चिराग, चिलम, जंजीर, जमीन, जहर, जानवर, जलेबी, जुकाम, तराजू, दर्जी।
३. तुर्की: उर्दू, काबू, कुली, कुरता, कैंची, चाकू, चेचक, चम्मच, तोप, बंदूक, बारूद, बेगम, बहादर, लाश, सौगात, सराय, भड़ास, खच्चर, चोंगा, बीबी, तमगा, तमचा।
४. पुर्तगाली: इस्पात, गमला, चाबी, तौलिया, संतरा, साबुन, काजू, गोभी, परात, बिस्कुट,बोतल, कप्तान, कमरा, पपीता, पादरी, फीता, बाल्टी, मिस्त्री, कनस्तर, आलू।
५. अंग्रेजी: स्कूल, डॉक्टर, क्रिकेट , स्टेशन , टेलीविजन आदि
ब) व्युत्पत्ति के आधार पर शब्द के भेद
व्युत्पत्ति के आधार पर शब्द के भेद 3 भेद हैं-
(1) रूढ़ शब्द
(2) यौगिक शब्द
(3) योगरूढ शब्द
(1) रूढ़ शब्द :-
जिन शब्दों के टुकड़े नहीं किए जा सकते, उन्हें रूढ़ शब्द कहते हैं। इन्हें मूल शब्द भी कहते हैं। जैसे – घर, फोन, कल
(2) यौगिक शब्द :-
जिन शब्दों के टुकड़े किए जा सकते हैं जिन शब्द को विभाजित किया जा सके उन्हें यौगिक शब्द कहते हैं। जैसे :- गिरजाघर, रसोईघर, माता – पिता आदि
गिरजाघर: गिरजा और घर
रसोईघर: रसोई और घर
माता-पिता: माता और पिता
उपर्युक्त सभी शब्द यौगिक शब्द है।
(3) योगरूढ शब्द :-
जिन शब्दों के टुकड़े तो किए जा सकते हैं। लेकिन अर्थ ग्रहण करने के लिए उन्हें एक करना पड़ता हैं। अर्थात रूढ़ करना पड़ता है, उन्हे योग रूढ़ शब्द कहते है। जैसे – लंबोदर, जलज, दशानन आदि
(स) अर्थ के आधार पर शब्द के भेद
अर्थ के आधार पर शब्द के दो भेद हैं।
(1) सार्थक शब्द
(2) निरर्थक शब्द
(1) सार्थक शब्द
वे शब्द जो स्वतंत्र रूप से अपना अर्थ निकाले अर्थात उनको किसी और शब्द की आवश्यकता ना पड़े वो सार्थक शब्द कहलातेे है। जैसे रोटी, कपड़ा, रोटी अपने आप मेंं एक अर्थ प्रकट करता है इसको किसी और शब्द की आवश्यकता नहीं ये अपने आप में पूर्ण हैै।
उदाहरण:
वह रोटी खाता है
इसमें रोटी शब्द एक सार्थक शब्द है।
सार्थक शब्दों के प्रकार -
सार्थक शब्द के 4 भेद हैं-
१. एकार्थी शब्द:
ऐसे शब्द जिनका एक ही अर्थ निकलता हो उन्हें एकार्थी शब्द कहते है।
जैसे - राम , फोन , जयपुर, आदि।
इसमें राम एक लड़के का नाम है।
राम आया।
फोन एक वस्तु का नाम है।
उसने फोन किया
जयपुर एक स्थान का नाम है।
वह जयपुर में रहता है।
२. अनेकार्थी शब्द:
ऐसे 'शब्द' जिनके एक से ज्यादा अर्थ निकले, उन्हें अनेकार्थी शब्द कहते है। जैसे- सोना, गीता
यहा सोना और गीता के दो-दो अर्थ निकलते है -
उदाहरण: (१) उसे सोने दिया जाए
यहाँ सोने का अर्थ नींद से है।
उदाहरण: (२) उसको सोना पहनना पसंद है।
इसमें सोना (गहने) की बात की गई है।
उदाहरण: (३) गीता मेरे घर आई
इस उदाहरण में अगर हम देखे, इसमें गीता शब्द एक लड़की है।
उदाहरण: (४) गीता पढ़ना अच्छा लगता है।
इसमें गीता शब्द भगवत गीता से है।
३. पर्यायवाची शब्द:
जो शब्द समान अर्थ के कारण किसी दूसरे शब्द का स्थान ग्रहण कर लेते हैं अर्थात हम एक शब्द की जगह दूसरे शब्द का उपयोग कर सकते है। उन्हें पर्यायवाची शब्द कहते हैं
उदाहरण के लिए -
अतिथि – मेहमान ,पाहुन ,आगंतुक, अभ्यागत।
अहंकार– गर्व, अभिमान, , घमंड, मान।
अरण्य – जंगल, वन, अटवी, विपिन।
अंकुश– नियंत्रण, पाबंदी, रोक, दबाव,
अंतरिक्ष– खगोल, नभमंडल, गगनमंडल, आकाशमंडल।
अंतर्धान– गायब, लुप्त, ओझल, अदृश्य।
अंबर– आकाश, आसमान, गगन, फलक, नभ।
आँख - नेत्र, नयन,लोचन ।
४. विलोम शब्द:
शब्द किसी दूसरे शब्द का उल्टा अर्थ बताते हैं, उन्हें विलोम शब्द या विपरीतार्थक शब्द कहते है। जैसे- हार- जीत, आय- व्यय, आजादी- गुलामी,नवीन- प्राचीन शब्द एक दूसरे के उलटे अर्थ प्रदान करने वाले शब्द है
लिंग परिवर्तन द्वारा विलोम शब्द: जैसे भाई-बहन , राजा-रानी , वर-वधू , लड़का-लड़की, गाय-बैल, आदि।
जातीय शब्दों द्वारा विलोम शब्द : जैसे ऊपर – नीचे ,आजाद-गुलाम , आगे-पीछे आदि।
समास के विलोम शब्द : जैसे नश्वर-अनश्वर, आदि- अनादि, संभव-असंभव आदि।
उपसर्ग के विलोम शब्द: जैसे आदर-अनादर, पाप- पुण्य , स्वास्थ्य-अस्वास्थ्य , मान-अपमान आदि।
कुछ शब्द ऐसे होते है जिनको हम केवल नर और मादा लगा कर ही विलोम शब्द के रूप में परिवर्तित कर सकते है। जैसे: मच्छर, इसको हम नर मच्छर या मादा मच्छर लिख सकते है।
(2) निरर्थक शब्द
वे शब्द जो स्वतंत्र रूप से अपना अर्थ नहीं निकल सकते और उनको अपने साथ किसी अन्य शब्दों को आवश्यकता होती है वो निरर्थक शब्द कहलाते है।
जैसे: आमने
"आमने" को अगर हम देखे तो ये एक शब्द है लेकिन ये अपने आप में कोई अर्थ नहीं निकाल रहा है।
"आमने सामने"
ये दोनो एक दुसरे पर निर्भर करते है।
(द) प्रयोग के आधार पर शब्द के भेद
प्रयोग के आधार पर शब्द के 2 भेद हैं-
(1) विकारी शब्द
(2) अविकारी शब्द
(1) विकारी शब्द-
जिन शब्दों के रूप में लिंग, वचन, कारक, पुरुष, काल के द्वारा, परिवर्तन किया जा सकता है, उन्हें विकारी शब्द कहते हैं।
विकारी शब्द के 4 भेद हैं :-
१. संज्ञा
२. सर्वनाम
३. विशेषण
४. क्रिया
(2) अविकारी शब्द-
शब्द जिन शब्दों के रूप में लिंग, वचन, कारक, पुरुष व काल के हिसाब द्वारा कोई परिवर्तन नहीं किया जा सकता उन्हें अविकारी शब्द कहते हैं।
अविकारी शब्द के चार भेद हैं।
१. क्रिया विशेषण
२. समुच्चय बोधक
३. विस्मयादि बोधक
४. संबंध बोधक अव्यय विशेषण
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