समुच्चयबोधक शब्द किसे कहते हैं? समुच्चयबोधक (योजक) अव्यय शब्द- समुच्चयबोधक की परिभाषा | Samuchchay Bodhak Avyay in Hindi. समुच्चयबोधक के भेद (प्रकार), समुच्चयबोधक के भेद के उपभेद और समुच्चयबोधक अव्यय के उदाहरण।
समुच्चयबोधक | Samuchchay Bodhak in Hindi
समुच्चयबोधक अविकारी शब्द है ।
समुच्चयबोधक को योजक भी कहते हैं ।
समुच्चयबोधक की परिभाषा :-
दो शब्दों,वाक्यांशों या वाक्यों को परस्पर जोड़ने वाले अविकारी शब्दों को समुच्चयबोधक अव्यय ( योजक ) कहते हैं ।
जैसे- और, तथा, या, किंतु, परंतु, लेकिन, अन्यथा, इसलिए, ताकि, वरना, मानो, एवं, मगर, अंत:, क्योंकि आदि ।
उदाहरणार्थ-
'बादल गरजे और पानी बरसा । '
उपर्युक्त वाक्य में 'और 'अव्यय समुच्चयबोधक है; क्योंकि यह पद दो वाक्यों -' बादल गरजे ', 'पानी बरसा ' -को जोड़ने का कार्य कर रहा है ।
कुछ अन्य उदाहरण देखिए -
1. रेखा और सुनीता बाजार जा रही हैं ।
2. आपके लिए खिचड़ी बनी है एवं मेरे लिए चावल।
3. बरसात आ गई वरना मैं विद्यालय चला जाता ।
4. मैं आपसे मिलने आया था परंतु आप नहीं मिले ।
5. दरवाजा खुला रह गया था अत: चोर घर में घुसआए ।
उपर्युक्त वाक्यों में' और', ' एवं ',' वरना ', ' परंतु', ' अतः ', आदि शब्द दो शब्दों , दो वाक्यों और वाक्यांशों को जोड़ रहे हैं । इसलिए ये समुच्चयबोधक अव्यय है।
समुच्चयबोधक के भेद:-
समुच्चयबोधक के दो भेद होते हैं-
[1] समानाधिकरण समुच्चयबोधक
[2] व्यधिकरण समुच्चयबोधक
[1] समानाधिकरण समुच्चयबोधक
जिन पदों या अव्ययों द्वारा समान स्तर वाले शब्दों या मुख्य वाक्य जोड़े जाते हैं ,उन्हें समानाधिकरण समुच्चयबोधक कहते हैं।
जैसे-
उदाहरण-
1. राम और श्याम बाग में खेल रहे हैं ।
२. सुनीता बहुत मोटी है इसलिए नहीं चल पाती ।
3. चाय पियोगे या कॉफी ।
4. पानी गिरा और पुस्तक गीली हो गई ।
समानाधिकरण समुच्चयबोधक के भेद:-
समानाधिकरण समुच्चयबोधक के चार भेद हैं ।
(क) संयोजक
(ख) विरोधदर्शक
(ग) विकल्प दर्शक
(च) परिणाम दर्शक
(क) संयोजक
जो अव्यय दो अथवा दो से अधिक पदों , वाक्यांशों और वाक्य को जोड़ने का कार्य करते हैं उन्हें संयोजक कहते हैं।
जैसे - और, व ,एवं ,तथा आदि।
उदाहरण-
1. लक्ष्मण और राम वाटिका में घूम रहे हैं ।
2. आपके लिए खिचड़ी बनी है एवं मेरे लिए चावल।
3. यहां मैं बैठूंगा तथा उधर दूसरे लोग बैठेंगे ।
(ख) विरोधदर्शक
विरोधी कथनों और वाक्यों को जोड़ने वाले शब्द विरोध दर्शक कहलाते हैं । इनसे दो बातों में विरोध सूचित होता है।
जैसे- परंतु,अपितु, लेकिन, मगर, पर, बल्कि, किंतु, वरना आदि ।
उदाहरण-
1 वह खेलने में तो अच्छा है मगर पढ़ाई लिखाई नहीं करता ।
2. रेखा गा रही है पर अनीता चुप है ।
3. पिताजी ने समझाया था परंतु मैं न समझ सका ।
4. अमित तुम चुप हो जाओ, वरना बात बिगड़ जाएगी।
5. राकेश धनवान है लेकिन कंजूस भी है ।
(ग) विकल्प दर्शक
दो शब्दों ,वाक्यांशों,और वाक्यों में विभाजन और विकल्प प्रकट करने वाले शब्द विकल्प दर्शक कहलाते हैं। इनके द्वारा दो बातों में से किसी एक के ग्रहण और दूसरे के त्याग का बोध होता है।
जैसे- या ,अथवा, चाहे ,कि आदि ।
उदाहरण-
1. तू पढ़ ले या टी.वी. देख ले ।
2. चाहे मारो , चाहे पीटो, मैं तुम्हें कुछ नहीं करूंगा ।
3. ठीक से काम करो अथवा नौकरी छोड़ दो ।
(घ) परिणाम दर्शक
दो उपवाक्यों को जोड़कर परिणाम दिखाने वाले शब्द परिणाम दर्शक कहलाते हैं । इनसे सूचित होता है कि अगली बात पिछली बात का फल है।
जैसे- इसलिए , अन्यथा ,ताकि, फलत: ,अतः, नहीं तो,सो आदि।
उदाहरण-
1. विमान में खराबी थी फलत: दुर्घटना हो गई ।
2. तुम मान जाओ अन्यथा पिटोगे ।
3. कार से चलेंगे ताकि समय पर पहुंच जाए।
4. वे मुझे नहीं मिले सो मैं वहां से लौट आया ।
5. सोहन ने अधिक मेहनत की इसलिए वह परीक्षा में प्रथम स्थान आया ।
[2] व्यधिकरण समुच्चयबोधक
वे अव्यय शब्द जो एक या अधिक आश्रित वाक्यों को प्रधान वाक्य से जोड़ते हैं, उन्हें व्यधिकरण समुच्चयबोधक कहते हैं ।
जैसे-
उदाहरण-
1. रोहित का उद्देश्य है कि वह पुरस्कार जीते ।
2. यदि आप उससे मिलना चाहते हो तो द्वार पर प्रतीक्षा करें ।
3. वर्षा हो रही थी इसलिए वह आज कार्यालय नहीं गया
4. जो मैना पिंजरे में है ,वह फल खाती है ।
व्यधिकरण समुच्चयबोधक के भेद-
व्यधिकरण समुच्चयबोधक के चार भेद है :-
(क) कारणवाचक
(ख) संकेतवाचक
(ग) उद्देश्यवाचक
(घ) स्वरूपवाचक
(क) कारणवाचक
जिन समुच्चयबोधक शब्दों द्वारा वाक्य में कार्य- कारण का पता चले उन्हें कारण वाचक कहा जाता है।
जैसे- इसलिए ,क्योंकि, चूंकि आदि।
उदाहरण-
1. रेखा आज स्कूल नहीं आई, क्योंकि उसकी मां बीमार है।
2. भूकंप आया था इसलिए दीवार में दरार पड़ गई थी ।
3. चूंकि वह कमजोर है ,इसलिए तुम उस पर हावी हो रहे हो ।
(ख) संकेतवाचक
जिन समुच्चयबोधक शब्दों से शर्त या संकेत प्रकट होते हैं ,उन्हें संकेतवाचक कहते हैं । अर्थात् ये अव्यय एक वाक्य में कोई संकेत प्रकट करते हैं और दूसरे वाक्य में उसका फल बताते हैं।
जैसे- जो-तो, यदि-तो, यद्यपि -तथापि आदि।
उदाहरण-
1. यदि घूमने चलना है तो तैयार हो जाओ ।
2. जो तू मेरी बात मानेगा तो तेरा भला होगा ।
3. यद्यपि समय हो गया है तथापि ड्राइवर बस नहीं चला रहा ।
(ग) उद्देश्यवाचक
जिन शब्दों से दो उपवाक्यों को जोड़कर उनका उद्देश्य स्पष्ट किया जाता है उन्हें उद्देश्य वाचक कहते हैं।
जैसे- जो, ताकि, जिससे कि आदि ।
उदाहरण-
1. खिड़कियां बंद कर दो ,ताकि ठंडी हवा भीतर न आ सके ।
2. जो व्यक्ति मेहनती होता है, वह कभी असफल नहीं होता ।
3. हमें प्रतिदिन योगा करना चाहिए जिससे कि हमारा शरीर स्वस्थ रहे ।
(घ) स्वरूपवाचक
जिन समुच्चयबोधक शब्दों का प्रयोग पहले प्रयुक्त शब्द ,वाक्यांश या वाक्यों को स्पष्ट करने के लिए किया जाता है ,उन्हें स्वरूपवाचक समुच्चयबोधक कहते हैं।
जैसे- मानो, कि, अर्थात् , जैसा कि आदि।
उदाहरण-
1. महात्मा गांधी जी ने कहा कि सदा सत्य बोलो ।
2. स्वर्ग प्राप्त अर्थात् स्वर्ग को प्राप्त ।
3. रीमा के दांत जैसे कि मोती है ।
4. मेरी बात इसलिए मानो जिससे सुखी रहो ।
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