इस प्रकार के प्रश्नों में 2 भाग होते हैं पहले भाग में कथन और दूसरे
भाग में तर्क दिया होता है
सर्वप्रथम प्रश्न में एक कथन दिया जाता है और उसके बाद तर्क दिए
जाते हैं जिनकी संख्या 2 से 3 अथवा 4 तक भी हो सकती है यह तर्क या तो सकारात्मक होते हैं या नकारात्मक या दोनों प्रकार
के होते हैं
इस अध्याय के अंतर्गत सामान्यत: प्रश्नों में कार्यवाही के लिए सुझाव
के रूप में एक कथन होता है जो आमतौर पर प्रश्नवाचक वाक्य के रूप में होता है जिसके
बाद दो या दो से अधिक तर्क दिए रहते हैं जिस में से पहला कथन कुछ सकारात्मक पहलू अथवा
सकारात्मक परिणामों को व्यक्त करता है तथा दिए गए कथन का समर्थन करता है जबकि दूसरा
कथन तर्क को कमजोर तथा नकारात्मक अथवा उस कार्य के नकारात्मक पहलुओं , हानिकारक अथवा
परिणाम को इंगित करते हुए इस विवरण के विरुद्ध
तर्क देता है
इस प्रकार के प्रश्नों में उम्मीदवारों को दिए गए कथन और तर्कों
पर विचार करते हुए यह निर्णय लेना होता है कि दिए गए कथन के पक्ष या विपक्ष में दिए
गए तर्कों में से कौन-सा तर्क प्रबल(ठोस) है
विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में इस प्रकार के प्रश्नों के पूछे
जाने का मुख्य उद्देश्य उम्मीदवारों की तर्क वितर्क की क्षमता की जांच करना है तर्कों
की प्रबलता निर्धारित करने के लिए उम्मीदवारों को तय करना होता है कि तर्क सर्वगुण
संपन्न है या नहीं और इस प्रकार यदि कोई तर्क 100% सत्य नहीं है तो यह प्रबल तर्क होता
है कथन एवं तर्क से संबंधित प्रश्नों को हल करने के लिए नीचे दिए गए प्रमुख तत्वों
पर ध्यान रखना बहुत ही आवश्यक है
अगर किसी भी तरह का संबंध समाज, राजनीति, धर्म, कानून से हो तो ऐसे तरीकों को प्रबल माना जाता है
यदि किसी भी प्रश्न में दिया गया तर्क स्पष्ट रुप से कथन से संबंधित
है तुम इसे प्रबल तर्क मानेंगे
ऐसे तर्क जिनमें तुलना, एक से अधिक अर्थ , अस्पष्ट / काल्पनिक शब्द
होते हैं इन तर्कों को निर्बल / कमजोर तर्क ही माना जाता है
अगर किसी भी तरह से हमें वैज्ञानिक तथ्यों का पता चले और उनका स्पष्ट
अर्थ हो तो ऐसे तर्क प्रबल तर्क होते हैं
यदि किसी भी प्रश्न में दिया गया तर्क राजा शिक्षा का बोध करा रहा
हो तो ऐसा तर्कों का कथन से सीधे संबंधित होगा और यह स्पष्ट रूप से ही प्रबल तर्क होगा
कभी भी प्रबल तर्क प्रश्न सूचक को प्रदर्शित नहीं करते
कभी भी देश के हित/ लोगों के हित में दिया जाने वाला तर्क सदैव प्रबल
होता है
तुलनात्मक तर्कों को सदैव निर्बल या कमजोर तक माना जाता है
ऐसे तर्क जिनमें पराय: एक
मात्र, केवल, सिर्फ इत्यादि शब्दों का प्रयोग हुआ हो तो इस प्रकार के तर्क को निर्बल
/ कमजोर तर्क मानते हैं
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